August 2, 2025

पशु अस्पताल का बुरा हाल: इलाज के अभाव में मर रहे मवेशी, किसानों की आजीविका पर संकट- पशुपालन विभाग नदारद।

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खोंगसरा (कोटा), जिला बिलासपुरआजाद भारत न्यूज़ लाइव

खोंगसरा क्षेत्र के पशुपालक इन दिनों भारी संकट से गुजर रहे हैं। क्षेत्र की छह पंचायतों के बीच स्थित एकमात्र पशु चिकित्सालय पिछले दो दशकों से बिना डॉक्टर के ही संचालित हो रहा है, जिससे मवेशियों की जान तक जोखिम में पड़ रही है।

पशुपालकों के अनुसार, पशुओं के बीमार या दुर्घटनाग्रस्त होने पर समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण उन्हें मरने के लिए छोड़ देना पड़ता है। इतना ही नहीं, पोस्टमार्टम कराने के लिए उन्हें 22 किलोमीटर दूर बेलगहना जाना पड़ता है, जिससे पूरा दिन बर्बाद हो जाता है।

बीमा और सरकारी योजनाओं से भी वंचित

इलाज के अभाव के साथ ही पशु बीमा, मुआवज़ा या अन्य सरकारी योजनाओं की जानकारी और सुविधा तक ग्रामीणों को नहीं मिल रही। एकमात्र नियुक्त परिचारक हमेशा उपलब्ध नहीं रहता और फोन तक नहीं उठाता। इससे पशुपालकों में भारी रोष है।

“पशु बीमार होते हैं तो समय पर इलाज नहीं मिल पाता, जिससे मरते जा रहे हैं। पशुओं की संख्या भी लगातार घट रही है।”
— शिवमान सिंह, सरपंच प्रतिनिधि, खोंगसरा

“ग्रामीण क्षेत्र में पशुपालन ही आजीविका का मुख्य स्रोत है, प्रशासन को जल्द से जल्द इलाज की व्यवस्था करनी चाहिए।”
— जमील खान, ग्रामीण

सूअरपालन, मुर्गीपालन, भेड़-बकरी पालन भी प्रभावित

क्षेत्र में गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी और सूअर पालन भी किया जा रहा है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मूल आधार है। लेकिन चिकित्सा सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण यह व्यवसाय घाटे का सौदा बनता जा रहा है।

प्रशासन को सौंपा गया ज्ञापन- इस गंभीर स्थिति को देखते हुए रामेश्वर सिंह राजपूत, मंडल अध्यक्ष बेलगहना ने बताया कि:

“खोंगसरा के पशु चिकित्सालय को चालू कराने और चिकित्सक की नियुक्ति हेतु कलेक्टर को पत्र भेजा गया है। पशुपालन विभाग से भी संपर्क किया गया है।”

सरकार और विभाग से जल्द हस्तक्षेप की मांग

पशुपालकों ने सुशासन दिवस, ग्राम सभा और अन्य सरकारी शिविरों में बार-बार इस समस्या को उठाया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। यह स्थिति सिर्फ जानवरों की नहीं, बल्कि पूरे ग्रामीण अर्थतंत्र और आजीविका पर सीधा असर डाल रही है।

संपादकीय-  जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से निवेदन है कि ग्रामीणों की मांगों को गंभीरता से लेते हुए खोंगसरा पशु अस्पताल को पुनः सक्रिय करें और स्थायी चिकित्सक की नियुक्ति सुनिश्चित करें।

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