आदिवासी विकास विभाग में टेंडर गड़बड़ी की शिकायत, ठेकेदार बोले – “अपने चहेतों को लाभ दिलाने के लिए बदले नियम”

बिलासपुर। आदिवासी विकास विभाग बिलासपुर में निकले टेंडर पर ठेकेदारों ने गंभीर गड़बड़ी का आरोप लगाया है। विभाग द्वारा आश्रम और छात्रावासों की मरम्मत के लिए निविदा क्रमांक निर्माण 2025-26/1644 दिनांक 04.08.2025 को समाचार पत्रों में संक्षिप्त रूप से प्रकाशित किया गया था। ठेकेदारों का आरोप है कि इसी निविदा में बिना एनआईटी नंबर और दिनांक बदले, नियमों में दो बार संशोधन कर दिया गया।


बाबू पर लगाया पक्षपात का आरोप
ठेकेदारों ने निविदा समिति के एक बाबू पवन शर्मा पर सीधे आरोप लगाया है। उनका कहना है कि उन्होंने अपने चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए न केवल नियम बदले, बल्कि नई शर्तें भी जोड़ीं। इस पूरे मामले की शिकायत लिखित रूप से कलेक्टर को दी गई है। शिकायत के बाद कलेक्टर ने मामले की जांच अपर कलेक्टर को सौंप दी है।
विभाग से मांगी जानकारी, मिला टालमटोल जवाब
ठेकेदारों ने बताया कि जब वे संशोधित शर्तों और नियमों की जानकारी लेने विभाग पहुंचे तो उनसे संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। पूछने पर विभाग यह नहीं बता पाया कि लोक निर्माण विभाग के किस नियम के तहत निविदा में बार-बार संशोधन किए जा रहे हैं।
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अपात्र घोषित करने पर भड़के ठेकेदार
ठेकेदारों ने कहा कि निविदा आवेदन के समय जिन दस्तावेजों के आधार पर विभाग ने उन्हें फार्म दिया था, उन्हीं दस्तावेजों को बाद में अधूरा बताकर उन्हें अपात्र घोषित कर दिया गया। इससे ठेकेदारों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। कई ठेकेदारों ने मानसिक क्षति की भी बात कही।
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पहले के टेंडरों में नहीं थीं इतनी शर्तें
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि पहले भी विभाग द्वारा टेंडर निकाले गए थे, लेकिन उनमें इतनी जटिल शर्तें और नियम शामिल नहीं थे। इस बार खासतौर पर “अपने लोगों” को ठेका दिलाने के लिए पूरी प्रक्रिया को प्रभावित किया गया है।

जांच से जुड़े सवाल
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या जांच में सच सामने आएगा या फिर मामला दबा दिया जाएगा? ठेकेदारों की लिखित शिकायत पर अपर कलेक्टर स्तर पर जांच शुरू हो गई है। विभागीय कार्यप्रणाली पर उठे सवालों से आदिवासी विकास विभाग की विश्वसनीयता पर सीधा असर पड़ सकता है।
