October 17, 2025

महतारी वंदन योजना में फर्जीवाड़ा: बिलासपुर में 26 शिक्षकों की पत्नियों ने लिया योजना का लाभ, वेतन रोकने की चेतावनी

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बिलासपुर (आजाद भारत न्यूज़ लाइव)।
छत्तीसगढ़ की बहुचर्चित महतारी वंदन योजना में अब तक का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। बिलासपुर जिले के कोटा विकासखंड में 26 शिक्षकों की पत्नियों ने नियमों को ताक पर रखकर इस योजना का गलत लाभ उठाया। महिला एवं बाल विकास विभाग की जांच में मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग ने सभी शिक्षकों को नोटिस जारी कर तीन दिन के भीतर राशि लौटाने का आदेश दिया है। चेतावनी दी गई है कि तय समय में राशि नहीं लौटाने पर वेतन रोका जाएगा।

सरकारी नौकरी छुपाकर लिया योजना का लाभ

सूत्रों के अनुसार, इन शिक्षकों ने अपने सरकारी पद पर होने की जानकारी छुपाकर पत्नियों के नाम से योजना का ₹1000 प्रतिमाह का लाभ दिलवाया। जबकि योजना के नियम स्पष्ट हैं — किसी भी शासकीय, अर्धशासकीय या संविदा कर्मचारी और उनके परिजनों को इसका लाभ नहीं मिल सकता।

ग्यारह महीने तक विभाग रहा बेखबर

हैरान करने वाली बात यह है कि पिछले 11 महीनों से हर शिक्षक की पत्नी के खाते में ₹1000 ट्रांसफर होते रहे, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी। अब जाकर विभाग की नींद टूटी है और कार्रवाई शुरू हुई है।

नामजद शिक्षकों को भेजा गया नोटिस

कोटा परियोजना अधिकारी सुरुचि श्याम के अनुसार, जब मामला उजागर हुआ तो शिक्षकों की पत्नियों के नाम और खातों में भेजी गई राशि की सूची शिक्षा विभाग को भेजी गई। इसके बाद विकासखंड शिक्षा अधिकारी नरेंद्र मिश्रा ने 26 शिक्षकों को नोटिस जारी करते हुए तत्काल राशि जमा करने के निर्देश दिए हैं।

कुछ शिक्षकों ने राशि लौटाना शुरू किया

शिक्षा अधिकारी मिश्रा ने बताया कि कुछ शिक्षकों ने राशि लौटाना शुरू कर दिया है। लेकिन जिन्होंने अब तक भुगतान नहीं किया, उनके खिलाफ जल्द ही वेतन रोकने की कार्रवाई की जाएगी।

इन शिक्षकों के नाम हैं शामिल

इस फर्जीवाड़े में जिन शिक्षकों के नाम सामने आए हैं, वे इस प्रकार हैं —
जयद्रथ खुसरो, दालसिंह, गोवर्धनसिंह पैकरा, सहोरिक जगत, नारायणदास मानिकपुरी, रुस्तम सिंह खुसरो, सुखराम गंधर्व, राममिलाप, शिवकुमार जगत, सत्यनारायण मरावी, रमेश साहू, नारायण खांडे, चंदन सिंह धुर्वे, गौतम कुमार कुर्रे, विजय सतनामी, कमल सिंह, बनवारी लाल, श्यामलाल, राजकुमार पाव, कार्तिक यादव, सुनील कुमार, पवन सिंह, शंकरलाल सूर्यवंशी, प्रमोद कुमार साहू, हेमपाल पैकरा और बसंत कुमार।

राशि वसूली से आगे बढ़कर हो अनुशासनात्मक कार्रवाई

इस मामले ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। शिक्षक जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे लोग जब इस तरह नियमों को ताक पर रखें, तो इससे सरकारी योजनाओं की साख पर चोट पहुंचती है। केवल राशि की वसूली ही पर्याप्त नहीं, अनुशासनात्मक कार्रवाई भी जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई अन्य इस तरह का दुस्साहस न कर सके।

क्या बचा रहे हैं अफसर दोषियों को?

स्थानीय लोगों का आरोप है कि विभागीय अधिकारी शिक्षकों को बचाने की कोशिश में हैं। लोगों की मांग है कि इस पूरे मामले की सूक्ष्म जांच कर दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि यह एक दृष्टांत बने और सरकारी योजनाओं की लूट रोकी जा सके।

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