नवजात की मौत ने खोली स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल – झोला छाप डॉक्टर बना मौत का सौदागर

आजाद भारत न्यूज़ रतनपुर | बिलासपुर
छत्तीसगढ़ के रतनपुर क्षेत्र के नवागांव से दिल दहला देने वाली खबर आई है। यहां एक मेडिकल स्टोर संचालक ने खुद को डॉक्टर बताकर इलाज किया और उसकी लापरवाही ने एक मासूम नवजात की जान ले ली।

31 अगस्त को सुनील साहू अपने भांजे को श्रीधाम मेडिकल स्टोर लेकर पहुंचे थे। स्टोर संचालक ने बिना किसी पर्चे के दवा दी और इंजेक्शन भी लगा दिया। इलाज के कुछ ही देर बाद बच्चे की हालत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई।
परिजनों का आरोप
परिवार का आरोप है –
“बिना डिग्री और बिना लाइसेंस के इलाज कर रहा था, यही हमारी मासूम की मौत का कारण है।”
गुस्से से भरे परिजनों ने ऑनलाइन FIR दर्ज करवाई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मौत की असली वजह सामने आएगी, लेकिन गांव में मातम और गुस्से का माहौल गहराया हुआ है।

आगजनी और आरोप-प्रत्यारोप
मामले में नया मोड़ तब आया जब आरोपी मेडिकल संचालक ने अपनी दुकान में आगजनी की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई। उसका कहना है कि गुस्साए लोगों ने दुकान जला दी। वहीं परिजन इसे “स्क्रिप्टेड नाटक” बता रहे हैं और लापरवाही छिपाने की चाल करार दे रहे हैं।
प्रशासन पर बड़े सवाल
यह मामला सिर्फ एक गांव तक सीमित नहीं है। कोटा विकासखंड के अंतिम आदिवासी ग्रामों में स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे “सैडको डॉक्टर” वर्षों से इलाज के नाम पर खेल कर रहे हैं।
कई बार शिकायतें होने के बावजूद विभागीय कार्रवाई नहीं हो रही।
लोगों के सवाल बिल्कुल स्पष्ट हैं –
कब तक झोला छाप डॉक्टर ग्रामीणों की जिंदगी से खेलते रहेंगे?
स्वास्थ्य विभाग पर संरक्षण देने के आरोप क्यों लग रहे हैं?
मासूम की मौत के बाद भी क्या कार्रवाई होगी या फिर मामला दबा दिया जाएगा?
नगर अब भी चिन्मय हत्याकांड से उबर नहीं पाया था कि इस घटना ने एक और सदमा दे दिया। लोगों का कहना है कि –
“सिस्टम की खामोशी अब मौत से भी ज्यादा डराने लगी है।”
ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की मांग है कि आरोपी पर कड़ी कार्रवाई हो और स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण इलाकों में झोला छाप डॉक्टरों की जांच कर उन्हें तत्काल रोके।
यह घटना ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत उजागर करती है:
कब तक झोला छाप डॉक्टर लोगों की जान से खिलवाड़ करते रहेंगे?
प्रशासन कब जागेगा और ऐसे लोगों पर कार्रवाई होगी?
क्या मासूम की मौत के बाद कोई सख्त कदम उठेगा?