स्वच्छता ही सेवा : रेलवे ने मनाया अभियान, लेकिन खोंगसरा स्टेशन और कॉलोनी की हकीकत अलग

खोंगसरा/1 अक्टूबर 2025।
2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर पूरे देश में स्वच्छता ही सेवा और स्वच्छता पखवाड़ा का आयोजन किया जाना है। सरकारी कार्यालयों से लेकर स्कूल-कॉलेज और पंचायत स्तर तक सफाई अभियान चलाए गए। रेलवे ने भी देशभर के स्टेशनों, कॉलोनियों और परिसरों में स्वच्छता अभियान मनाने की बात कही गयी है।
लेकिन खोंगसरा रेलवे स्टेशन और कॉलोनी की तस्वीर इस दावे की पोल खोलती है।
कॉलोनी और स्टेशन परिसर की बदहाल स्थिति
खोंगसरा रेलवे कॉलोनी में गली-गली कचरा फैला हुआ है। नियमित सफाई नहीं होने से नालियां जाम पड़ी हैं और दुर्गंध फैल रही है। बरसात के मौसम में पानी ठहर जाने से मच्छर और मक्खियों की संख्या बढ़ गई है। लोग डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों के खतरे से दहशत में हैं।
स्टेशन परिसर भी अछूता नहीं है। रनिंग रूम के पीछे कूड़ा करकट का बड़ा ढेर महीनों से पड़ा हुआ है। यात्रियों और कर्मचारियों को असुविधा हो रही है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अब तक अनदेखी कर रहे हैं।


ठेकेदार व्यवस्था पर सवाल
रेलवे ने सफाई का काम ठेकेदारों को सौंप रखा है, लेकिन उनकी लापरवाही साफ दिखती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि “ठेकेदार तो आते-जाते भी नहीं, मजदूर भी मनमर्जी से काम करते हैं। न कोई निगरानी है, न ही कोई कार्रवाई।”
रेलवे प्रशासन द्वारा मॉनिटरिंग न होने की वजह से गंदगी का अंबार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।
जनता की नाराज़गी
रेलवे कॉलोनी में रहने वाले कर्मचारियों और परिवारों ने कहा कि उन्हें हर दिन गंदगी और बीमारी के खतरे के बीच जीना पड़ रहा है। “गांधी जयंती पर जब पूरा देश सफाई का संदेश दे रहा है, तब हमारे ही घर के आसपास यह हाल है। प्रशासन को कम से कम इस दिन तो सच्चाई देखनी चाहिए।” – एक निवासी ने कहा।
क्वार्टरों की जर्जर हालत
रेलवे के कर्मचारियों के लिए बने क्वार्टर भी खराब और जर्जर स्थिति में हैं। दीवारों पर सीलन, टूटती छत और गंदगी आम बात हो गई है। इनका मेंटनेंस समय पर नहीं किया जाता। कई बार शिकायत करने के बाद भी सुनवाई नहीं होती, जिससे मजबूर होकर कर्मचारी और उनके परिवार जैसे-तैसे हालात में रहने को विवश हैं।
सवालों के घेरे में रेलवे
स्वच्छता पखवाड़ा सिर्फ औपचारिकता बनकर रह गया है। रिपोर्ट और फोटो खिंचवाकर कार्य पूरा मान लिया जाता है, जबकि ज़मीनी हकीकत किसी से छिपी नहीं है। सवाल यह है कि आखिर रेलवे प्रशासन कब इस गंदगी और लापरवाही पर गंभीर कदम उठाएगा?
आजाद भारत न्यूज़