न पानी, न टंकी – ये कैसी नौटंकी? ग्राम पंचायत रुदा में एक करोड़ की टंकी योजना बनी मज़ाक, तीन साल बाद भी नहीं आया ??

विशेष रिपोर्ट | आज़ाद भारत न्यूज़ लाइव। दुर्ग
जिला दुर्ग (छत्तीसगढ़) –
सरकारी योजनाओं की हकीकत जब जमीन पर उतरती है तो कई बार उनका हाल ‘नौटंकी’ जैसा नजर आता है। ग्राम पंचायत रुदा इसका ताजा उदाहरण है। यहां 2021 में जल जीवन मिशन के अंतर्गत करीब 1 करोड़ रुपये की लागत से एक पानी की टंकी बनाने का कार्य शुरू किया गया था।
लेकिन 2025 में भी स्थिति यह है कि टंकी का नामोनिशान नहीं है। गांव में खड़ा है सिर्फ कॉलम, स्लैब और स्टील की सीढ़ियां, जो अब बच्चों के खेलने और फोटो खिंचवाने का स्थान बन चुकी है।

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13 गांवों को मिलना था लाभ
यह टंकी केवल रुदा के लिए नहीं थी, बल्कि इससे आसपास के 13 गांवों को जल आपूर्ति की योजना बनाई गई थी। इनमें आमतरी, निमघुरा, टिरिया, बिरसिंह, खारगांव, अंजनिया, छोंगारी आदि गांव शामिल थे।
काम की शुरुआत 2021 में हुई और अक्टूबर 2022 में विभाग ने कागजों में इसे “पूरा” भी घोषित कर दिया, लेकिन आज भी ग्रामीणों को पीने का पानी नसीब नहीं हुआ।
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क्या बना और क्या नहीं बना?
✅ बना –
कॉलम (स्तंभ)
स्लैब
स्टील की सीढ़ियां
❌ नहीं बना –
पानी स्टोर करने वाली टंकी
पाइपलाइन कनेक्शन
पानी की सप्लाई व्यवस्था
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अधिकारियों की सफाई – अब एल्यूमिनियम टंकी लगेगी
जब मीडिया और ग्रामीणों ने सवाल उठाए, तब अधिकारियों ने नया तर्क दिया कि अब एल्यूमिनियम की टंकी लगाई जाएगी, इसलिए काम रुका हुआ है।

जबकि शुरुआत में सिंपल स्टील टैंक के अनुसार काम शुरू किया गया था, तो यह बदलाव अब क्यों? और अगर बदलाव किया गया तो तीन साल में कोई टंकी लगाने की प्रक्रिया क्यों शुरू नहीं हुई?
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गांववालों का दर्द:
पूर्व जनपद सदस्य लालताराम देशमुख और वर्तमान पंचायत सदस्य ललित देशमुख बताते हैं –
> “यह टंकी अब हमारे गांव के लिए मज़ाक बन गई है। लोग ऊपर चढ़कर सेल्फी लेते हैं। तीन साल से कोई अधिकारी झांकने तक नहीं आया। बच्चों के खेलने का स्पॉट बन गया है।”
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आज के हालात:
न पानी की सप्लाई
न टंकी
सिर्फ ढांचा और आश्वासन
सरकारी फाइलों में काम ‘पूरा’
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जनता के सवाल:
क्या एक करोड़ रुपये का यह ढांचा ही पूरी योजना है?
टंकी के बिना जल जीवन मिशन का क्या मतलब रह गया है?
क्या किसी अधिकारी या ठेकेदार पर कार्रवाई की गई?
अगर टंकी एल्यूमिनियम की होनी थी, तो यह कॉलम किस काम का?
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निष्कर्ष:
ग्राम पंचायत रुदा में यह योजना सरकारी सिस्टम की नाकामी का प्रतीक बन चुकी है।
यह सिर्फ एक टंकी नहीं, गांव की उम्मीदों और करदाताओं के पैसों का अपमान है।
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