खोंगसरा (कोटा)।
ग्राम आमागोहन स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बदहाल स्थिति एक बार फिर उजागर हुई है। सोमवार दोपहर लगभग 12 बजे जब ग्रामवासी विकास कुमार अपनी पत्नी की स्वास्थ्य जांच के लिए केंद्र पहुँचे, तो वहां न तो डॉक्टर मौजूद थे और न ही कोई सहायक स्टाफ। उनके साथ-साथ कई अन्य ग्रामीण, महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी इलाज के लिए भटकते नजर आए।

ग्रामीण बोले – इलाज के लिए जाएं तो कहां जाएं?

विकास कुमार, आमागोहन निवासी ने कहा:

“हम इलाज कराने नजदीकी केंद्र न जाएं तो कहां जाएं? डॉक्टर न समय से आते हैं और न पूरे समय तक रुकते हैं। हमेशा ऐसा ही रहता है।”

उनकी यह पीड़ा उस सैकड़ों ग्रामीणों की आवाज़ है जो इस केंद्र पर स्वास्थ्य सुविधाओं की आस लेकर आते हैं।

यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आसपास के 5 पंचायतों और दर्जनों आश्रित गांवों की लगभग 10,000 की आबादी की सेवा के लिए है, लेकिन हकीकत में यहां न नियमित डॉक्टर तैनात हैं, न दवाइयों की व्यवस्था है और न ही आपातकाल में एम्बुलेंस सुविधा उपलब्ध होती है। कोटा ब्लॉक मुख्यालय यहां से लगभग 50 किलोमीटर और जिला मुख्यालय 80 किलोमीटर से अधिक दूर है। इस कारण मां और बच्चे के सुरक्षित प्रसव पर भी गंभीर खतरा बना रहता है।

जनप्रतिनिधियों का फूटा गुस्सा

मोहम्मद अजहर खान, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा:

“मैंने कई बार बीएमओ साहब से स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था सुधारने की मांग की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। यह शासन की स्वास्थ्य व्यवस्था की गंभीर उपेक्षा को दर्शाता है।”

राजू सिंह राजपूत, भाजपा बेलगहना मंडल अध्यक्ष ने कहा:

“आज मुझे ग्रामीणों द्वारा सूचना मिली कि डॉक्टर और स्टाफ नहीं हैं। मरीज भटक रहे हैं। मैं इसकी शिकायत उच्च स्तर पर करूंगा और डॉक्टर की नियुक्ति की मांग करूंगा।”

संदीप शुक्ला ने उठाई आवाज, आंदोलन की चेतावनी

संदीप शुक्ला, क्षेत्र के वरिष्ठ जनप्रतिनिधि, पूर्व मंडी अध्यक्ष एवं जनपद सदस्य (कांग्रेस), ने इस विषय पर तत्काल बीएमओ से फोन पर बात की और स्वास्थ्य केंद्र की दुर्दशा पर नाराजगी जताई।

“यह आदिवासी अंचल के साथ अन्याय है। यदि शीघ्र व्यवस्था नहीं सुधरी तो हम ग्रामीणों के साथ मिलकर आंदोलन करेंगे और स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही तय करेंगे।”
उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं की बहाली की मांग के साथ जल्द कार्रवाई की चेतावनी दी।

तत्काल सुधार की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि यह स्वास्थ्य केंद्र केवल कागजों में सक्रिय है, जबकि ज़मीनी हकीकत बेहद चिंताजनक है। गंभीर बीमारियों या प्रसव जैसी स्थितियों में मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ता है, जिससे कई बार जान जोखिम में पड़ जाती है।

अब समय आ गया है कि शासन-प्रशासन इस लापरवाही पर संज्ञान ले और आमागोहन जैसे अंतिम छोर पर बसे गांव में स्वास्थ्य सेवाओं की बहाली के लिए ठोस और त्वरित कदम उठाए।

हॉस्पिटल में स्टाफ नदारद

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