
आजाद भारत न्यूज़ लाइव- छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन में बड़ा बदलाव: 41 जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे, आरक्षित वर्गों को मिलेगा 50% प्रतिनिधित्व
भिलाई, 08 जुलाई 2025
स्रोत: दैनिक भास्कर न्यूज
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी अब संगठनात्मक स्तर पर बड़ा बदलाव करने जा रही है। पार्टी ने तय किया है कि राज्य के सभी 41 संगठनात्मक जिलों के कांग्रेस अध्यक्षों को बदला जाएगा। इसके साथ ही एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों को 50% प्रतिनिधित्व देने का फार्मूला अपनाया जाएगा।
बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी?
1. लगातार कमजोर हो रहा जनाधार:
बीते विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को कई जिलों में अपेक्षित सफलता नहीं मिली। संगठन का कमजोर ढांचा और नीतिगत निष्क्रियता को हार की वजह माना गया।
2. जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा:
कार्यकर्ताओं के एक बड़े वर्ग का आरोप था कि जिलों में पुराने और निष्क्रिय नेताओं को पदों से हटाया नहीं गया, जिससे जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही थी।
3. समाजिक संतुलन की कमी:
दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग लंबे समय से यह मांग कर रहे थे कि पार्टी के संगठन में उनका प्रतिनिधित्व केवल वोट बैंक तक सीमित न रहे, बल्कि नेतृत्व की भूमिका में भी उन्हें मौका दिया जाए।
4. भाई-भतीजावाद का विरोध:
संगठन में कुछ पदों पर परिवारवाद और सिर्फ करीबी लोगों को पद देने की परंपरा पर भी सवाल उठते रहे। इससे युवाओं और मेहनती कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ा।
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मांग कहाँ से उठी?
ब्लॉक और जिला स्तरीय बैठकों में:
पार्टी की बैठकों में कार्यकर्ताओं ने खुले रूप से संगठन में बदलाव की मांग उठाई थी। विशेषकर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों से कार्यकर्ताओं ने कहा कि पुराने नेतृत्व के कारण संगठन निष्क्रिय हो गया है।
आंतरिक रिपोर्टों में खुलासा:
हाईकमान को मिली आंतरिक सर्वे रिपोर्टों में यह सामने आया कि संगठन के कई जिलाध्यक्ष स्थानीय स्तर पर निष्क्रिय हैं, जिससे जनता और कार्यकर्ताओं के बीच पार्टी की पकड़ कमजोर हो रही है।
युवाओं और महिलाओं से भी मांग:
प्रदेश भर में युवाओं और महिला कार्यकर्ताओं ने भी यह मांग की कि पार्टी में नई ऊर्जा और प्रतिनिधित्व लाने के लिए संगठनात्मक बदलाव जरूरी हैं।
राहुल गांधी की सीधी निगरानी में बदलाव
इस बार कांग्रेस हाईकमान की तरफ से साफ निर्देश मिले हैं कि नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद या क्षेत्रीय गुटबाजी को स्थान नहीं दिया जाएगा। राहुल गांधी स्वयं प्रत्यक्ष निगरानी कर रहे हैं ताकि योग्य और सक्रिय कार्यकर्ताओं को ही जिम्मेदारी सौंपी जा सके।
क्या होगा असर?
संगठन को मिलेगी नई ऊर्जा और तेजी से निर्णय लेने की क्षमता
दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग को नेतृत्व में भागीदारी
2028 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी नए ढांचे के साथ मजबूत स्थिति में आ सकेगी
कार्यकर्ताओं में बढ़ेगा विश्वास और स्थानीय स्तर पर सक्रियता
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लिए यह बदलाव सिर्फ चेहरों की अदला-बदली नहीं है, बल्कि यह एक नई राजनीतिक सोच, सामाजिक संतुलन और संगठन की मजबूती की दिशा में बड़ा कदम है। अब देखने वाली बात होगी कि यह फार्मूला ज़मीनी हकीकत में कितना असर दिखा पाता है।
