
जगदलपुर/रायपुर, 10 जुलाई 2025- रिपोर्ट आजाद भारत न्यूज
रायपुर विधानसभा घेराव 15 जुलाई को, शासन-प्रशासन की चुप्पी पर संघ ने जताई नाराजगी
बस्तर जिला स्कूल, आश्रम, छात्रावास शासकीय चतुर्थ वर्ग कर्मचारी कल्याण संघ, जगदलपुर के बैनर तले, आदिवासी विकास विभाग में कार्यरत कर्मचारियों ने अपनी नियमितीकरण और वेतन निर्धारण की वर्षों पुरानी मांग को लेकर संघर्ष तेज कर दिया है। संघ ने 1 मई 2025 को जगदलपुर से रायपुर तक की पदयात्रा की शुरुआत की थी, जो अब 15 जुलाई को रायपुर विधानसभा घेराव के रूप में परिणत होने जा रही है।


क्या है मामला?
वर्ष 2014 में बस्तर जिले के पंजीकृत युवा वर्ग को विशेष भर्ती अभियान के अंतर्गत स्कूलों, छात्रावासों एवं आश्रमों में सीधी भर्ती के तहत नौकरी दी गई थी। इन नियुक्तियों को 5वीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की नीति के रूप में प्रचारित किया गया था।
संघ का कहना है कि यह नियुक्तियाँ 10 वर्षों पूर्व की गईं, लेकिन आज तक न नियमितीकरण हुआ और न ही उनका वेतन निर्धारण। इससे इन कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान पर कार्य करना पड़ रहा है, जिससे आर्थिक तंगी, असुरक्षा और भविष्य की अनिश्चितता बनी हुई है।
पहले भी मिला था आश्वासन
संघ ने 1 मई को जब पहली बार पदयात्रा प्रारंभ की, तब 2 मई को ग्राम बनियागांव, जिला कोंडागांव में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्री गणेश राम सोरी ने हस्तक्षेप कर वार्ता की। इसके बाद जगदलपुर बुलाकर कलेक्टर महोदय के समक्ष वार्ता कराई गई और एक माह में मांगों के समाधान का लिखित आश्वासन दिया गया। इसी आधार पर संघ ने पदयात्रा को स्थगित कर दिया था।
लेकिन डेढ़ महीने के बाद भी कोई ठोस निर्णय नहीं होने पर संघ ने 24 जून 2025 से पुनः पदयात्रा प्रारंभ की।
️ पदयात्रा का रूट चार्ट (24 जून से 15 जुलाई 2025 तक):
तारीख स्थान विवरण
24 जून बनियागांव पदयात्रा प्रारंभ
25 जून कोंडागांव विश्राम
26 जून फरसगांव विश्राम
27 जून केशकाल विश्राम
1 जुलाई कांकेर विश्राम
4 जुलाई चारामा विश्राम
7 जुलाई धमतरी विश्राम
9 जुलाई कुरूद-अभनपुर पदयात्रा आगे बढ़ी
12 जुलाई रायपुर में प्रवेश
15 जुलाई रायपुर विधानसभा घेराव
> नोट: यदि 15 जुलाई को विधानसभा घेराव के बाद भी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो संघ के सदस्य “जल त्यागकर आमरण अनशन” की शुरुआत करेंगे।
महिला और दिव्यांग कर्मचारी भी शामिल
इस पदयात्रा की एक विशेष बात यह रही कि इसमें महिला कर्मचारी अपने छोटे बच्चों के साथ और दिव्यांग कर्मचारी भी लगातार सहभागी हैं। भारी बारिश, कष्टदायक मार्ग और 300 किलोमीटर की पैदल यात्रा के बावजूद संघ के सदस्यों ने अपने संघर्ष को नहीं छोड़ा।
संघ की पीड़ा: “कोई सुनवाई नहीं”
संघ अध्यक्ष प्रगुणाथ पानीग्राही के अनुसार:
> “हमने कई बार शासन-प्रशासन को पत्राचार कर समस्याओं से अवगत कराया है, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं मिला। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतनी लंबी लड़ाई के बावजूद, न कोई जनप्रतिनिधि हमारे बीच आया और न ही सरकार ने वार्ता की पहल की।”
संघ की चेतावनी:
> “अगर विधानसभा घेराव के बाद भी कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो सभी कर्मचारी आमरण अनशन पर बैठेंगे और जिम्मेदारी शासन की होगी।”
संघ की मुख्य मांगें:
1. सभी सीधी भर्ती कर्मचारियों का तत्काल नियमितीकरण।
2. वेतन निर्धारण की प्रक्रिया शुरू कर मानदेय को शासकीय वेतनमान में परिवर्तित करना।
3. भविष्य निधि, पेंशन, अवकाश और अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ देना।
रिपोर्ट- आजाद भारत लाइव न्यूज़
