
गुजरात के वडोदरा जिले के मुजपुर–गंभीर मार्ग पर स्थित पुल 9 जुलाई की सुबह अचानक धराशायी हो गया। इस भयावह हादसे में अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 3 लोग अभी भी लापता हैं। हादसा उस समय हुआ जब पुल से कई वाहन गुजर रहे थे। घटनास्थल पर चीख-पुकार मच गई, और नदी में गिरे लोगों को निकालने के लिए स्थानीय प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमों ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया।

मुख्यमंत्री ने दिए सख्त निर्देश, चार इंजीनियर निलंबित
गंभीर हादसे के तुरंत बाद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने घटना की जांच के आदेश देते हुए चार इंजीनियरों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबित अधिकारियों में:
N.M. Nayakawala (कार्यपालन अभियंता)
U.C. Patel (उप अभियंता)
R.T. Patel (उप अभियंता)
J.V. Shah (सहायक अभियंता) शामिल हैं।
सरकार ने एक छह सदस्यीय तकनीकी जांच समिति का गठन किया है, जो आगामी 10 अगस्त 2025 तक विस्तृत जांच रिपोर्ट सौंपेगी।
पूर्व चेतावनियों को नजरअंदाज किया गया!
सूत्रों के अनुसार, इस पुल की स्थिति को लेकर 2021 से प्रशासन को बार-बार चेतावनी दी जा रही थी, लेकिन इन चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया गया। न तो मरम्मत की गई, और न ही आवागमन को रोका गया। इसी लापरवाही ने आज 17 निर्दोष लोगों की जान ले ली।
राजनीतिक हलचल और मुआवजा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है। सरकार ने मृतकों के परिजनों को ₹4 लाख और घायलों को ₹50 हजार की सहायता राशि देने की घोषणा की है।
विपक्षी दलों ने इस हादसे को “सरकारी लापरवाही का खतरनाक परिणाम” बताया है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इस पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।
जनता पूछ रही है – आखिर जिम्मेदार कौन?
अब सवाल उठ रहा है कि जब पुल को लेकर बार-बार चेतावनी दी जा चुकी थी, तो प्रशासन ने समय रहते कदम क्यों नहीं उठाया? क्या सिर्फ चार अधिकारियों को निलंबित कर देने से 17 मौतों का हिसाब पूरा हो जाएगा?

आजाद भारत न्यूज़ मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है और मांग करता है कि इस हादसे के सभी दोषियों को सख्त सजा दी जाए।
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