October 16, 2025

“रेलवे सेक्शन खोंगसरा में 1963 से लगातार विश्वकर्मा जी की पूजा की परंपरा, कर्मचारियों और ग्रामीणों की सामूहिक आस्था”

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खोंगसरा-SECR रेलवे बिलासपुर के “18वें सेक्शन इंजीनियर जितेंद्र मंडल की अगुवाई में हुई विश्वकर्मा पूजा, रेल औजारों का विधिवत पूजन”

विश्वकर्मा भगवान को विश्व का प्रथम शिल्पी और सृष्टि के रचयिता माना जाता है। मान्यता है कि उन्हीं के हाथों से समस्त ब्रह्मांड, देवताओं के महल, अस्त्र-शस्त्र, रथ और अनुपम कलाकृतियों का निर्माण हुआ। यही कारण है कि विश्वकर्मा जी को वास्तुशिल्प, तकनीक और औजारों के देवता भी कहा जाता है।

रेलवे जैसे विशाल औद्योगिक और तकनीकी क्षेत्र में विश्वकर्मा पूजा का विशेष महत्व है। पटरियों से लेकर पुल, इंजन से लेकर डिब्बे और इन सबको आकार देने वाले औजारों और उपकरणों तक—सबकी संरचना और उपयोग सृजनशीलता का प्रतीक है, जिसे कर्मचारी विश्वकर्मा भगवान के आशीर्वाद से जोड़ते हैं।

परंपरा की शुरुआत– रेलवे सेक्शन खोंगसरा में यह परंपरा वर्ष 1963 में प्रारंभ हुई थी। उस समय के सीनियर सेक्शन इंजीनियर श्री एन. भट्टाचार्य ने कर्मचारियों के सहयोग से पहली बार प्रतिमा स्थापना कर पूजा-अर्चना की थी। तभी से यह आयोजन निरंतर हो रहा है। हमने कर्मचारियों से बातचीत के बाद AI से उस चित्र को बनाने और महशुश कराने की कोशिश भी की है। नीचे देखें।

62वां वर्ष और नई ऊर्जा

आज इस परंपरा को पूरे 62 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। वर्तमान में 18वें सेक्शन इंजीनियर श्री जितेंद्र मंडल की अगुवाई में प्रतिमा स्थापित की गई। इस अवसर पर पूरे सेक्शन के कर्मचारी, उनके परिवारजन और आसपास के ग्रामीण भारी संख्या में शामिल हुए। पूजा के दौरान समस्त रेल औजारों, ट्रॉली, माप उपकरणों और विकास कार्यों में प्रयुक्त सभी संसाधनों का विधिवत पूजन किया गया। इसके पश्चात प्रसाद वितरण हुआ, जिसमें ग्रामीण और आगंतुक भी शामिल रहे।

सामूहिकता और उत्सव का प्रतीक

पूरे आयोजन में न सिर्फ धार्मिक आस्था झलकती है, बल्कि कर्मचारियों के बीच सामूहिकता और टीमवर्क का अद्भुत संदेश भी मिलता है। इस दिन कर्मचारी अपनी मेहनत और तकनीकी कौशल को विश्वकर्मा भगवान को समर्पित करते हैं।

विसर्जन और परंपरा का निर्वाह– पूजा के दूसरे दिन प्रतिमा विसर्जन भी हर्ष और उल्लास के साथ संपन्न होता है। इस दौरान पूरे सेक्शन में दर्शन और प्रसाद वितरण की परंपरा निभाई जाती है। यह आयोजन कर्मचारियों और ग्रामीणों को एक साझा मंच देता है, जहाँ आस्था और उत्सव एक साथ दिखाई देते हैं।

रेल विकास में विश्वकर्मा पूजा का महत्व– रेलवे एक ऐसी संरचना है जो पूरे राष्ट्र को जोड़ती है। यहाँ काम करने वाले कर्मचारी दिन-रात औजारों और तकनीक से रूबरू रहते हैं। विश्वकर्मा पूजा उनके लिए केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि अपने औजारों और साधनों को आदर देने और उनके सही उपयोग का संकल्प लेने का अवसर है।
इस पूजा से कर्मचारियों में नई ऊर्जा, एकता और कार्य के प्रति समर्पण की भावना जागृत होती है, जो सीधे-सीधे रेल विकास और यात्रियों की सुविधा से जुड़ती है।

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