
लेह, 21 जून 2025 — 10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर भारतीय सेना ने अद्वितीय पहल करते हुए सियाचिन ग्लेशियर जैसे चुनौतीपूर्ण और दुर्गम क्षेत्र में योग सत्र आयोजित किया। यह क्षेत्र समुद्र तल से करीब 18,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और इसे दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र माना जाता है।
इस विशेष आयोजन में भारतीय सेना के जवानों ने बर्फीली हवाओं और अत्यंत कम तापमान के बीच योग के विभिन्न आसनों का अभ्यास किया। यह आयोजन न केवल सैनिकों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाने के उद्देश्य से किया गया, बल्कि इसके माध्यम से “योग से एकता और संतुलन” के संदेश को भी बल मिला।
सियाचिन जैसे विषम परिस्थितियों वाले स्थान पर योगाभ्यास कर जवानों ने यह दर्शाया कि कठिन से कठिन हालात में भी योग आंतरिक शक्ति, मानसिक शांति और अनुशासन बनाए रखने का एक सशक्त माध्यम है।
सैन्य अधिकारियों ने बताया कि इस योग सत्र का उद्देश्य जवानों में तनाव प्रबंधन, एकाग्रता, और आत्म-संयम को बढ़ावा देना था। इसके साथ ही यह पूरी दुनिया को यह संदेश देने का प्रयास था कि भारतीय सेना न केवल युद्धक कौशल में अग्रणी है, बल्कि वह अपने जवानों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर भी पूरी तरह सजग है।
भारत के विभिन्न सैन्य ठिकानों, सीमावर्ती क्षेत्रों और समुद्री इलाकों में भी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। सियाचिन में हुए इस आयोजन ने विशेष रूप से ध्यान आकर्षित किया, क्योंकि यह दर्शाता है कि योग केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि जीवनशैली का हिस्सा है, जो किसी भी परिस्थिति में अपनाया जा सकता है।