14 सालों से गणित शिक्षक विहीन शासकीय हाई स्कूल कोंचरा, 95 बच्चों का भविष्य अधर में।।

आजाद भारत न्यूज़ लाइव रिपोर्ट- कोंचरा(बेलगहना)
कोटा/बेलगहना — शिक्षा सत्र 2025-26 की शुरुआत को एक महीना बीत चुका है, लेकिन कोटा विकासखंड के ग्राम कोंचरा स्थित शासकीय हाई स्कूल में अब तक गणित विषय का शिक्षक पदस्थ नहीं किया गया है।
यह विद्यालय वर्ष 2011 से संचालित है, और पिछले 14 वर्षों से गणित शिक्षक की अनुपस्थिति ने यहाँ के बच्चों के भविष्य पर गहरा असर डाला है।
95 छात्र दर्ज, दूर-दराज से आते हैं बच्चे
विद्यालय में वर्तमान में कुल 95 विद्यार्थी पंजीकृत हैं, जिनमें कई छात्र 3 से 5 किलोमीटर दूर के ग्रामों से प्रतिदिन पैदल चलकर शिक्षा ग्रहण करने आते हैं।
गणित जैसे महत्वपूर्ण विषय की पढ़ाई स्थायी शिक्षक के अभाव में या तो अन्य विषयों के शिक्षकों द्वारा करवाई जाती है या बिल्कुल नहीं हो पाती, जिससे बच्चों को बोर्ड परीक्षा में भारी नुकसान उठाना पड़ता है।


प्राचार्य ने जताई चिंता, अधिकारी खामोश विद्यालय के प्राचार्य राकेश कुमार पैकरा ने बताया:
“गणित शिक्षक की पदस्थापना हेतु कई बार खंड शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित और मौखिक आवेदन भेजे गए, पर अब तक कोई भी पहल नहीं हुई है। यह स्थिति विद्यार्थियों के भविष्य के साथ अन्याय है।”
शिक्षकों की भारी कमी, पालकों में असंतोष
विद्यालय में अन्य विषयों के शिक्षक भी सीमित संख्या में हैं, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षण पूरी तरह प्रभावित हो रहा है।
पालकों का कहना है कि शिक्षक नहीं होने से बच्चों में विषय के प्रति रुचि कम हो रही है और वे शिक्षा छोड़ने की स्थिति में पहुंच रहे हैं। कई पालक अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में भेजने पर मजबूर हो गए हैं।
ग्रामीणों की चेतावनी: “नियुक्ति नहीं तो आंदोलन”
शिक्षकों की कमी को लेकर ग्रामवासियों ने खंड शिक्षा अधिकारी को पत्र सौंपा है। उनका कहना है:
“यदि जल्द शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई तो हम विद्यालय गेट पर धरना प्रदर्शन करेंगे और स्कूल का बहिष्कार करेंगे।”
जनप्रतिनिधि रोहिणी यादव का तीखा बयान
जनपद सदस्य रोहिणी रामकृपाल यादव ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा:
“सरकार शिक्षा की बात तो करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। 14 वर्षों से एक स्कूल में गणित शिक्षक नहीं होना दर्शाता है कि नीति और नियत दोनों में खोट है। सरकार केवल आंकड़ों में सफल है, ज़मीनी स्तर पर नहीं।”
संपादकीय टिप्पणी:
कोंचरा जैसे सुदूर ग्रामीण अंचलों में शिक्षा की दुर्दशा केवल एक गांव की कहानी नहीं है, यह पूरे तंत्र के लापरवाह रवैये का परिणाम है।
जहाँ एक ओर सरकार डिजिटल शिक्षा, स्मार्ट क्लास और राष्ट्रीय मूल्यांकन की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर बच्चों को गणित जैसे आधारभूत विषय के लिए भी शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं।
अगर समय रहते यह समस्या नहीं सुलझाई गई, तो यह एक पूरी पीढ़ी की क्षमताओं पर ताला लगा देगा।