न शेड, न कुर्सी, सिर्फ गोबर और गंदगी — खोंगसरा स्टेशन की हालत बदतर, बिलासपुर जोन के DRM नही ले रहे सुध!!

खोंगसरा (बिलासपुर जिला) — जहां एक ओर केंद्र सरकार और भारतीय रेलवे देशभर में स्टेशनों को “स्मार्ट” और स्वच्छ बनाने की दिशा में करोड़ों खर्च कर रही है, वहीं बिलासपुर मंडल के अंतर्गत आने वाला खोंगसरा रेलवे स्टेशन पूरी तरह से उपेक्षा और बदहाली का शिकार बन चुका है। हालत इतनी खराब है कि यह स्टेशन अब “छत्तीसगढ़ का सबसे गंदा स्टेशन” बनने की दिशा में बढ़ रहा है।



प्लेटफॉर्म पर जानवरों का कब्जा, गोबर से सनी पटरियाँ
खोंगसरा रेलवे स्टेशन के तीनों प्लेटफॉर्म — नंबर 1, 2 और 3 — पर इन दिनों जानवरों का जमावड़ा बना रहता है। आवारा गाय-बैल प्लेटफॉर्म पर आराम फरमा रहे हैं और खुले में गोबर कर रहे हैं। इन हालातों में यात्रियों का चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया है। स्थिति यह है कि प्लेटफॉर्म ट्रेन से ज्यादा जानवरों की मौजूदगी के लिए बदनाम हो चुका है।
बैठने की व्यवस्था नहीं, शेड भी हटा दिए गए
यात्रियों के लिए बैठने की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। पूर्व में यहां लगी हुईं कुछ पुरानी कुर्सियां और प्लेटफॉर्म शेड को स्टेशन प्रबंधक एवं बिलासपुर महाप्रबंधक से शिकायत के बाद हटा तो दिया गया था, यह कहते हुए कि नया निर्माण होगा — लेकिन नया कुछ नहीं आया। महीनों बीत गए और स्टेशन की हालत जस की तस है — बल्कि और बदतर हो गई है।
“हम कहां बैठें?” — यात्री परेशान, आवाज़ अनसुनी
यात्रियों का कहना है कि अब बारिश हो या धूप, उन्हें खुले आसमान के नीचे खड़ा रहना पड़ता है। बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे — सभी के लिए यह स्थिति बेहद असुविधाजनक और अमानवीय है। स्टेशन पर न पीने का साफ पानी है, न साफ-सफाई। कई यात्रियों ने कहा कि उन्होंने बार-बार शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
स्वच्छ भारत मिशन पर सवाल
खोंगसरा स्टेशन की बदहाल स्थिति, स्वच्छ भारत अभियान और रेलवे के स्वच्छता मानकों को सीधी चुनौती दे रही है। जब छोटे-छोटे कस्बों के स्टेशन भी साफ-सुथरे और हाईटेक बन रहे हैं, तब खोंगसरा जैसा महत्वपूर्ण स्टेशन इस दुर्गति का शिकार क्यों है — यह सवाल उठना लाजिमी है।
प्रशासन की उदासीनता
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने कई बार इस स्टेशन की बदहाली को लेकर रेलवे अधिकारियों को पत्र लिखा, स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मांग की, लेकिन आज तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया। रेलवे प्रशासन की ओर से सिर्फ औपचारिक निरीक्षण और आश्वासन मिलते हैं, ज़मीनी स्तर पर कुछ भी नहीं बदला।

अब सवाल यह है — क्या रेलवे प्रशासन जागेगा?
खोंगसरा स्टेशन की स्थिति साफ़ दर्शाती है कि यहां जवाबदेही का पूरी तरह अभाव है। यात्रियों की सुविधाएं, स्टेशन की स्वच्छता और बुनियादी व्यवस्थाएं यदि वर्षों तक अनदेखी की जाती रहेंगी तो इसका असर न सिर्फ रेलवे की छवि पर पड़ेगा बल्कि यात्रियों की सुरक्षा और सम्मान पर भी।
अब जरूरत है कि रेलवे बोर्ड, बिलासपुर डिवीजन, और जनप्रतिनिधि इस गंभीर मुद्दे को प्राथमिकता से लें और खोंगसरा स्टेशन को एक स्वच्छ, सुरक्षित और सुविधाजनक स्टेशन के रूप में विकसित करें।
खोंगसरा स्टेशन की बदहाली को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। लोगों का कहना है कि इस स्टेशन को जानबूझकर उपेक्षित रखा जा रहा है, जबकि यह एक महत्वपूर्ण रेलवे रूट पर स्थित है और हजारों यात्री प्रतिदिन इससे गुजरते हैं।
मोहम्मद अजहर खान, स्थानीय ग्रामीण, ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा:
“हमने बार-बार रेलवे को आवेदन दिए, स्टेशन की स्थिति से अवगत कराया, लेकिन प्रशासन अब तक नहीं जागा। अफसोस है कि अधिकारी गहरी नींद में सोए हैं और कोई उन्हें जगाने वाला नहीं है। यह रेल रूट सिर्फ कमाई का जरिया बनकर रह गया है, यात्रियों की सुविधाओं की किसी को परवाह नहीं।”
वहीं, राजू सिंह राजपूत, पूर्व रेलवे समिति सदस्य, ने भी रेलवे अधिकारियों की उदासीनता पर सवाल उठाए:
“हमने कई बार ट्विटर पर लिखकर, आवेदन देकर, यहां तक कि रेलवे कार्यालय जाकर इस विषय को उठाया है। लेकिन न GM और न DRM — किसी के स्तर पर कोई गंभीरता दिखाई गई है। छोटे स्टेशनों को पूरी तरह उपेक्षित कर दिया गया है। रेलवे सिर्फ बड़ी योजनाओं और बजट घोषणाओं में व्यस्त है, ज़मीनी हकीकत कोई नहीं देख रहा।”
स्थानीय लोगों की मांग है कि अब रेलवे बोर्ड स्वयं खोंगसरा स्टेशन की स्थिति का निरीक्षण करे, और जल्द से जल्द यहां बुनियादी सुविधाएं बहाल की जाएं।
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