October 17, 2025

ग्राम पंचायत आमागोहन में नाली निर्माण राशि निकासी का घोटाला – सचिव नही देते आय-व्यय की जानकारी, सुशासन दिवस में अधिकारी ने शिकायत को ‘निराकृत’ दिखा दिया

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ग्राम पंचायत आमागोहन में नाली निर्माण घोटाला – सचिव, सरपंच, इंजीनियर और जनपद अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप

कोटा (बिलासपुर)। ग्राम पंचायत आमागोहन, वार्ड क्रमांक 3 में 15वें वित्त आयोग के तहत स्वीकृत नाली निर्माण कार्य एक बड़े घोटाले में बदल गया है। लाखों रुपये की राशि का भुगतान दर्शाया गया, लेकिन जमीनी स्तर पर आज तक नाली का निर्माण नहीं हुआ। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों के अनुसार यह केवल कागजों पर कार्य दर्शाकर शासकीय निधि की सीधी लूट है।

भुगतान का पूरा ब्यौरा – लेकिन काम नदारद

पंचायत राज पोर्टल के अनुसार नाली निर्माण के लिए निम्नलिखित भुगतान दर्ज हैं—

  1. वाउचर क्रमांक XVFC/2024-25/P/51 – ₹2,00,000/- (दिनांक 05/12/2024)
  2. वाउचर क्रमांक XVFC/2024-25/P/52 – ₹49,500/- (दिनांक 15/12/2024)
  3. वाउचर क्रमांक XVFC/2024-25/P/54 – ₹49,500/- (दिनांक 15/12/2024)

इन वाउचरों में मुख्य सड़क से सरगोंड़ नाला और फॉरेस्ट कॉलोनी क्षेत्र तक नाली निर्माण का उल्लेख है, लेकिन स्थल निरीक्षण में कहीं भी नाली का निर्माण नहीं पाया गया।

जानकारी देने से इनकार – अधिकारियों का नाम लेकर गुमराह

जब जनप्रतिनिधि चितरंजन शर्मा और पंच प्रतिनिधि राजेश पांडेय ने पंचायत सचिव राजेश कुमार उइके से आय-व्यय का ब्यौरा मांगा, तो सचिव ने कहा—
“उच्च अधिकारियों ने जानकारी देने से मना किया है, आप ऊपर से जानकारी लें, यहां नहीं दे पाएंगे।”

यह बयान सुनकर चितरंजन शर्मा ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत कोटा से सीधे बात की। सीईओ ने इस दावे को पूरी तरह गलत बताया और कहा—
“हमने किसी को जानकारी देने से मना नहीं किया, सभी रिकॉर्ड पंचायत स्तर पर उपलब्ध हैं।”

सुशासन दिवस पर भी शिकायत का ‘निराकरण’ दिखाया गया

इस मामले में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि सुशासन दिवस के अवसर पर इस गंभीर भ्रष्टाचार की शिकायत को निराकृत दिखा दिया गया, जबकि न तो जांच हुई और न ही काम पूरा हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि यह साफ तौर पर रिकॉर्ड में हेरफेर और भ्रष्टाचार को बचाने की कोशिश है।

पूरे नेटवर्क पर आरोप

पंच प्रतिनिधि राजेश पांडेय का कहना है—
“पूरे पंचायत में ऐसे कई काम सिर्फ कागजों में हुए हैं। नाली के इस भुगतान में केवल सचिव ही नहीं, उस समय के सरपंच, तकनीकी स्वीकृति देने वाले इंजीनियर और जनपद पंचायत के संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत है। सभी को तत्काल निलंबित कर विस्तृत जांच होनी चाहिए।”

मामला विधायक और सांसद तक पहुँचा

जनप्रतिनिधियों ने इस घोटाले की जानकारी विधायक, कोटा और सांसद को भी दे दी है, ताकि उच्च स्तर पर जांच कर जिम्मेदारों के खिलाफ प्रशासनिक और कानूनी कार्रवाई हो सके।

ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की मांग है कि—

  1. सभी भुगतान और कार्य का भौतिक सत्यापन जिला स्तरीय तकनीकी टीम से कराया जाए।
  2. घोटाले में शामिल सभी जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों पर FIR दर्ज हो।
  3. सुशासन दिवस में ‘निराकृत’ दिखाए गए रिकॉर्ड की जांच हो और दोषियों को दंडित किया जाए।
  4. भविष्य में पंचायत कार्यों में पारदर्शिता और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

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