रेलवे की घटिया इंजीनियरिंग! खोंगसरा अंडरब्रिज बारिश में डूबा, आवागमन ठप – ठेकेदार-इंजीनियर फोन नहीं उठा रहे

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) के खोंगसरा स्टेशन क्षेत्र में बना नया अंडरब्रिज पहली ही भारी बारिश में विफल हो गया। बारिश के कुछ घंटों के भीतर ही पुल जलमग्न हो गया, जिससे छात्रों, ग्रामीणों, किसानों और आपातकालीन आवागमन पूरी तरह बंद हो गया। स्थानीय लोगों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह रेलवे की इंजीनियरिंग और ठेकेदारी में लापरवाही और भ्रष्टाचार का नतीजा है।

क्या है पूरा मामला?
खोंगसरा स्टेशन से लगे अंडरब्रिज में हल्की बारिश के बाद ही पानी भरने लगा। थोड़ी देर में ही यह पुल पूरी तरह डूब गया, जिससे पैदल, साइकिल, दुपहिया और छोटे वाहनों की आवाजाही पूरी तरह अवरुद्ध हो गई। यह स्थिति रेलवे के डिज़ाइन, निर्माण गुणवत्ता और जलनिकासी प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि रेलवे द्वारा सार्वजनिक सूचना बोर्ड पर एक हेल्पलाइन नंबर और ठेकेदार का नाम अंकित किया गया है।
जब संपर्क किया गया तो ठेकेदार हिमांशु अग्रवाल ने कहा, “पानी निकालने का ठेका मेरा है, वहां पंप लगा है, पानी जल्द निकल जाएगा।”
लेकिन आज़ाद भारत न्यूज़ की टीम जब मौके पर पहुंची, तो अंडरब्रिज में किसी प्रकार की मोटर या पंपिंग सिस्टम मौजूद नहीं थी।
सवाल यह है कि अगर 18 अंडरब्रिज में मोटर लगी है तो खोंगसरा जैसे संवेदनशील और मुख्य उपयोग वाले पुल में यह इंतज़ाम क्यों नहीं?
ग्रामीणों के आरोप – यह सिर्फ तकनीकी लापरवाही नहीं, सीधा भ्रष्टाचार है, ज़ोन के सभी स्टेशनों का यही हाल
1. खराब डिज़ाइन और घटिया निर्माण – अंडरब्रिज में जलनिकासी की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है।
2. जवाबदेही से भागते इंजीनियर और ठेकेदार – शिकायत पर फोन नहीं उठाते, ज़िम्मेदारी लेने से इनकार।
3. भ्रष्टाचार की बू – ग्रामीणों का कहना है कि काम ऐसे ठेकेदारों को दिया गया जिन्हें निर्माण और रखरखाव की कोई समझ नहीं।
4. संभावित जानलेवा हादसे का खतरा – अगर कोई दुर्घटना होती है, तो सीधी जवाबदेही रेल प्रशासन की होगी।

सबसे ज़्यादा प्रभावित कौन?
छात्र-छात्राएं – स्कूल व कॉलेज जाने में बाधा।
किसान और ग्रामीण – खेती-किसानी और रोज़मर्रा के कार्य ठप।
बीमार, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग – अस्पताल पहुंचना असंभव।
रेलवे से 6 बड़े सवाल – जवाब देना जरूरी है
1. अंडरब्रिज के डिज़ाइन और ड्रेनेज प्लान को किसने मंज़ूरी दी थी?
2. मोटर या पंपिंग व्यवस्था कितने अंडरब्रिज में की गई है और कहां?
3. ठेकेदार हिमांशु अग्रवाल को कार्य किस प्रक्रिया से मिला और कितनी राशि दी गई?
4. Defect Liability Period (DLP) के अंतर्गत रेलवे अब तक क्या निरीक्षण/कार्रवाई कर चुका है?
5. पब्लिक हेल्पलाइन और कंट्रोल रूम नंबर सिर्फ दिखावे के लिए हैं या वास्तव में काम करते हैं?
6. जब अगली बारिश होगी तब तक आवागमन का वैकल्पिक समाधान क्या होगा?
जनता की डिमांड – तुरंत हो कार्रवाई
✅ पंपिंग सिस्टम तत्काल चालू किया जाए और पानी निकाला जाए।
✅ स्वतंत्र तकनीकी ऑडिट हो (IIT/NIT या सरकारी एजेंसी से)।
✅ जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदार पर कार्रवाई हो, भुगतान रोका जाए।
✅ स्थायी जलनिकासी ढांचा (ड्रेनेज, स्लोप, स्टॉर्म वाटर चैनल) का निर्माण किया जाए
।✅ स्थानीय प्रशासन वैकल्पिक आवागमन की व्यवस्था करे।
रेलवे का पक्ष (आंशिक जवाब)
जब आज़ाद भारत न्यूज़ ने रेलवे के कंट्रोल रूम से बात करने की कोशिश की, तो कोई स्पष्ट बयान नहीं मिला।
ठेकेदार हिमांशु अग्रवाल का कहना है,
“मैं सिर्फ पानी निकालने के लिए जिम्मेदार हूं, अंडरब्रिज का डिज़ाइन मेरी जिम्मेदारी नहीं है। मोटर लगी है, आप देख सकते हैं।”
हालांकि मौके की हकीकत इस दावे को झूठा साबित करती है।
आम जनता की आवाज
“अगर यह हाल पहली बारिश में है तो आगे क्या होगा?”
“रेलवे की योजनाएं सिर्फ कागजों में चल रही हैं।”
“हमारे गांव को शहर से जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता यही है – इसे भी बंद कर दिया गया।”
वीडियो देखें, किस तरह ग्रामीणों की समस्या हो रही है? https://youtu.be/RhNEs9ffIno?si=su6sP5CanQ0SyNxw